ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | ||||||
2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 |
9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 |
16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 |
23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 |
30 | 31 |
هستی
چشمه ی پیری است
در انتهای ِ راه ِ کویر ِ کور
باید گذشت از این راه ؟
این مرد ِ راه ،
صبوری و تسلیم
جاری ست
در رگش ...
بََرَهوتیان ِ کَلافه ی تنهایی !
باید ز راه ِ مانده ، گذشتن
باید که سرافراز به چشمه رسیدن .
*
این چشمه در انتظار ِ عبث نیست ...